MAHAVIR JAYANTI |
सबसे पहले, अहिंसा पथगामी, जैन धर्म के २४ वें और आखिरी तीर्थंकर भगवान महावीर के जन्मोत्सव (MAHAVIR JAYANTI) पर सभी देशबंधुओं को एहसास एक प्रयास की और से हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं।
भगवान महावीर जीवन के हर पथ पर मार्गदर्शन करने और रोग, मोह, माया, क्रोध पर विजय पाने के लिए हमेशा साथ रहते है। वे मार्ग दर्शाते है, मोक्ष के मार्ग की ओर रास्ता दिखाते है। भगवान महावीर की उपस्तिथि मात्र से मोक्ष मार्ग को खोजने में आसानी होती है। अगर कोई व्यक्ति उनके सारे नियम और कथन का अनुसरण करे तो जीवन में आने वाली विषम परिस्थियाँ भी कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। महावीर कहते है " स्वयं से लड़ो, बाहरी दुश्मनों से क्या लड़ना? जो स्वयं पर विजय प्राप्त कर लेंगे उन्हें आनंद की प्राप्ति होगी।"
धर्म वही है जहाँ अहिंसा है, प्रेम है और वैराग्य है। राजा होते हुए भी जीवन की सारी सुख सुविधाएं छोड़ जंगल में कठिन तपस्या कर मोक्ष को जिन्होंने पाया, ऐसे त्रिशला नंदन वीर को हमारी तरफ से अनुमोदना और वंदन है। ऐसे वीर प्रभु के बताये गए पथ पर चलना आसान नहीं है, लेकिन उनके गुणों और वचनो को आत्मसात कर हम जीवन को जरूर जीने लायक बना सकते है। आइये प्रेम, वात्सल्य और अहिंसा को अपनाये और दुसरो पर भी इसकी बौछार करे।
"त्रिशला नंदन वीर की जय बोलो महावीर की"